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Child Care Tips in Hindi, बच्चों की देखभाल

बच्चों की देखभाल (Child Care)

Child Care
बचपन में की गई देखभाल बच्चे को आने वाले जीवन में स्वस्थ और सफल बनाने की नींव मानी जाती है। बच्चों की देखभाल (Baby or Child Care) केवल गर्भावस्था या दो चार साल तक सीमित नहीं होती। बच्चों की देखभाल में सबसे जरूरी टिप्स (Child Care in Hindi) होते हैं कि उनके खानपान का ध्यान रखा जाए, साफ-सफाई, मेडिकल टेस्ट और टीकों (Vaccine Schedules of Kids) की सही जानकारी आदि अहम बातों का ख्याल रहा जाए।

बच्चों के लिए पैरेंटिंग टिप्स (Child Care Parenting Tips)

चाइल्ड केयर या पैरेंटिंग (Parenting) का सबसे अहम पहलू है बच्चों के साथ माता-पिता का व्यवहार। बच्चों की देखभाल सिर्फ उसके बेहतर सेहत के लिए ही नहीं की जाती है। सेहत के साथ बच्चों को भावनात्मक देखभाल की भी जरुरत होती है ताकि आपके बच्चे जीवन जीने की कला सीख सकें। अनुशासन, व्यवहार के साथ बच्चों को नैतिक

ऐसे रखें बच्चे को घर में सुरक्षित (How to safe the child in Home)

बच्चे जब बढ़ने लगते हैं तो वो ज्यादा शरारती और नटखट हो जाते हैं। खास कर 12 महीने से लेकर 5 साल की उम्र तक आपको बच्चों की सुरक्षा का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। यह एक ऐसा दौर है जब बच्चे जिज्ञासावश किसी भी चीज को छूने, खाने, पास जाने या समझने की कोशिश करते हैं। उन्हें यह समझ नहीं होती है कि वो उसके लि

6 से 12 महीने में नवजात को क्या खिलाएं (Diet Chart and Tips for Newborn Baby)

नवजात के लिए तो शुरु के 6 महीने में मां का दूध ही सर्वोत्तम आहार होता है। मां के दूध से शिशु के सबसे बेहतरीन पोषण और सभी तरह के रोगों से सुरक्षा मिलती है। शुरुआती छह महीनों में बच्चे को केवल मां के दूध की ही जरुरत होती है। मां के दूध में कोलोस्ट्रम और इम्‍युनोग्‍लोबुलिन होता है। यह किसी भी परिपक्व

नवजात शिशुओं को होने वाली बिमारियां (Common Diseases in Infant and Newborn)

बच्चे जब बीमार होते हैं तो आपकी चिंताएं बढ़ जाती हैं। घर पर नवजात शिशु (Newborn) की किलकारी गूंजने से जो खुशी होती है वो उसके बीमार होते ही चिंता में बदल जाती है। हालांकि नवजात शिशु को शुरुआती एक साल में होने वाली कई कॉमन बिमारियां गंभीर नहीं होती है बशर्ते उनका सही इलाज हो और देखभाल सही तरीके से हो

ऐसे करें नवजात की देखभाल (Newborn Baby Care Tips)

नौ महीने तक कोख में पालने और असहनीय प्रसव पीड़ा के बाद जब आपके गोद में बच्चे की किलकारियां गूंजती है तो आपकी खुशी दोगुनी हो जाती है। मगर इस खुशी के साथ आपकी जिम्मेवारियां भी बढ़ जाती है। मां बनने की जिम्मेवारी। पहली बार मां बनने के समय आपको यह पता नहीं होता है कि बच्चे की देखभाल कैसे करें। कैसे उसे

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