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About Thyroid Gland Function and Care in Hindi, थाइरॉयड ग्रंथि
Thyroid Gland Details

थाइरॉयड ग्रंथि के बारे में (About Thyroid Gland)

  • विवरण
  • समस्या
  • देखभाल
  • टिप्स
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थाइरॉयड ग्रंथि (Thyroid Gland) दो खण्डो से बनी एक नलिकाविहीन ग्रंथि होती है जिसमे प्रत्येक खण्ड श्वास-प्रणाली (Respiratory System) के ऊपरी भाग के दोनों ओर स्थित होता है तथा संकीर्णपथ  इस्थमस द्वारा दोनों खण्ड आपस में जुड़े होते है। आइएं जानें इस ग्रंथि के बारें में अधिक बातें:

  • थाइरॉयड ग्रंथि द्वारा थाइरॉक्सिन एव टाआयोडोथाइरोनिन दो हॉर्मोन उत्पन्न होते है।
  • ये हार्मोन चयापचय को तथा ऊतकों की विशेष रूप से तंत्रिका तंत्र के ऊतकों की वृद्धि एव विकास को नियंत्रित करते है। 
  • थाइरॉयड ग्रंथि अत्यधिक वाहिकीय ग्रंथि होती है। जिसका वजन लगभग 25 ग्राम होता है। 
  • यह ग्रंथि चारो ओर से एक तंतुमय कैप्सूल से घिरी होती है। यह पुतिकाओ से बनी होती है जो चारो ओर घनाकार उपकला-कोशिकाओ से घिरी होती है जो अनेको गोलाकार पुटक या फ्रोलिकल्स बनती है, जिनमे एक गाढा, चिपचिपा प्रोटीन पदार्थ कोलॉयड भरा होता है जिसमे थाइरॉयड हार्मोन्स संचित रहते है। 
  • यह कोलॉयड फॉलिक्युलर कोशिकाओ द्वारा पैदा किया जाता है। 
  • फॉलिक्युलर कोशिकाओ के बीच पैराफालिक्युलर कोशिकाएँ मौजूद होती हैं इनकी सहायता से कैल्सिटोनिन नामक हार्मोन का निर्माण एव स्त्रवण करती है, जो रक्त में कैल्सियम सांद्रता को कम कर देता है। कैल्सिटोनिन हार्मोन कैल्सियम के चयापचय के लिए भी आवश्यक होता है। 
  • थाइरॉक्सिन तथा तईआयडोथाइरोनिन इन दोनों हार्मोन्स को बनने के लिए आयोडीन की आवश्यता होती है। जो भोजन एव जल के साथ उपलब्ध होती है और छोटी आंत से अवशोषित होकर रक्त में मिल जाती है।  इसका अधिकांश भाग थाइरॉयड ग्रंथि द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है जिससे थाइरॉयड हार्मोन्स बनने है। 
  • T 3 का सीरम में सामान्य मान 0.7-2.0 ng/ml रक्त होता है। 
  • थाइरॉयड हार्मोन्स की उत्पति एव स्त्रवण होने की सम्पूर्ण प्रक्रिया अग्र पिट्यूटरी द्वारा स्त्रावित थाइरॉयड प्रेरक हार्मोन द्वारा नियंत्रित होती है। 
  • जल या भोजन में आयोडीन की कमी हो जाने से थाइरॉयड हार्मोन्स उपयुक्त मात्रा में नही बनते जिससे TSH का स्त्रवण बढ़ जाता है जिससे गलगण्ड या घेघ बन जाता है, जिससे थाइरॉयड ग्रंथि बढ़ जाती है। गर्दन सूजी हुई दिखयी देती है। 
  • थाइरॉयड ग्रंथि की अत्यधिक बढ़ी हुई क्रियाशीलता से नेत्रोत्सेधी गलगण्ड हो जाता है जिसमें नेत्रगोलक बाहर को निकल आते है तथा थाइरॉयड ग्रंथि बढ़ जाती है।
  • इसके विपरीत थाइरॉयड ग्रंथि की क्रियाशीलता में कमी हो जाने के परिणामस्वरूप अवटु अल्पक्रियता या हाइपोथायरॉइडिज्म नमक स्थिति पैदा हो जाती है इसमें बच्चो में जन्म से ही अवतुवमन या क्रेटिनिज्म रोग हो जाता है। 
  • इस रोग में हड्डियों एव कोमल ऊतकों का अपविकास तथा आधारी चयापचय में कमी होने के साथ शारीरिक एव मानसिक विकास रुक जाता है। 
  • व्यस्को में अल्पस्त्रवण से मिक्सिडिमा रोग हो जाता है जिसमे त्वचा शुष्क, खरदरी एव मोती हो जाती है जिस पर से बल झड़ जाते है, चेहरा एव हाथ सूज जाते है, जिव्ह बड़ी हो जाती है,आवाज धीमी हो जाती है, रक्ताल्पता हो जाती है, ठण्ड जल्दी लगने लगती है, भवहीनता हो जाती है तथा सुस्ती छाई रहती है एव चयापचयी दर कम हो जाती है, स्त्रियों में मासिक धर्म बिलकुल नही होता अथवा अत्यधिक होता है।

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थाइरॉइड ग्रंथि से संबंधित समस्यायें (Problems related to Thyroid Gland)

हाइपोथायराइडिज्म (Hypothyroidism)

इस रोग में थाइरॉइड ग्रंथि से थायरॉइड हॉर्मोन का उत्पादन कम हो जाता है। यह रोग छोटे बच्चों में अदिक पाया जाता है। इसका एक मुख्य कारण आयोडीन की कमी है। एक रिपोर्ट के अनुसार यह लगभग 5 प्रतिशत ऐसे केस देखने को मिलते हैं जिसमें महिलाए बच्चे को जन्म देने के एक वर्ष बाद इस रोग का शिकार हो जाती हैं।

हाइपरथायराइडिज्म (Hyperthyroidism)

इस रोग में थायराक्सिन हार्मोन की मात्रा बढ जाती है। यह बीमारी किसी भी आयु के व्यक्ति को हो सकती है परंतु यह अधिकतर महिलाओं में देखने को मिलती है। इससे शरीर का ताप बढ़ जाता है तथा घेंघा नामक रोग उत्पन्न हो जाता है। इसके साथ ही व्यक्ति के शरीर का वजन कम हो जाता है।

थाइरॉयड ग्रंथि से जुड़े रोग

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थायरायड ग्रंथि की देखभाल (Care for Thyroid Gland Healthy)

  • थायराइड एक संवेदनशील ग्रंथि है और इसका सीधा संबंध आपकी तनाव प्रतिक्रिया से है। इसलिए तनाव से बचें ।  
  • प्रोटीन का ज्यादा सेवन करें प्रोटीन आपके शरीर के सभी अंगों में थायराइड हार्मोन संचार करता है । 
  • आयोडीनयुक्त भोजन करना चाहिए। आयो‍डीन थाइराइड ग्रंथि के दुष्प्रभाव को कम करता है। 
  • साबुत अनाज खाने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढती है। 
  • मछली में आयोडीन ज्‍यादा मात्रा में पाया जाता है। ट्यूना, सामन, मैकेरल, सार्डिन, हलिबेट, हेरिंग और फ़्लाउंडर, ओमेगा -3 फैटी एसिड की शीर्ष आहार स्रोत हैं।
  • दूध और दही में पर्याप्त मात्रा में विटामिन, मिनरल्स, कैल्शियम और अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। दही खाने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है। 
  • फल और सब्जियां - हरी और पत्तेदार सब्जियां थायरायड ग्रंथि की क्रियाओं के लिए अच्छी होती हैं। हाइपरथाइराइजिड्म के कारण हड्डियाँ कमजोर हो जाती हैं इसलिए हरी और पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिसमें विटामिन-डी और कैल्शियम होता है जो हड्डियों को मजबूत बनाता है।
  • सादा सुपाच्य भोजन,मट्ठा,नारियल का पानी,को अपने भोजन में शामिल करें

परहेज

  • मिर्च-मसाला,तेल,अधिक नमक, चीनी, खटाई, चावल, मैदा, चाय, काफी, नशीली वस्तुओं, तली-भुनी चीजों, रबड़ी,मलाई, मांस, अंडा  जैसे खाद्यों से परहेज रखें

उज्जायी प्राणायाम 

  • पद्मासन या सुखासन में बैठकर आँखें बंद कर लें अपनी जिह्वा को तालू से सटा दें अब कंठ से श्वास को इस प्रकार खींचे कि गले से ध्वनि व् कम्पन उत्पन्न होने लगे इस प्राणायाम को दस से बढाकर बीस बार तक प्रतिदिन करें

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थायरायड ग्रंथि के लिए टिप्स (Tips to keep Thyroid Gland Healthy)

  • थाइराइड को स्वस्थ रखने के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से हलासन (व्यायाम) करना चाहिए।
  • थाइराइड प्रक्रिया को सामान्य रखने के लिए अपने भोजन में नमक की मात्रा का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
  • थाइराइड प्रक्रिया को मजबूत रखने के लिए अपने दैनिक आहार में हरी मिर्च, पनीर और टमाटर को जरूर शामिल करें। इसके अलावा हरी सब्जियों और समुद्री मछलियों का सेवन भी थाइराइड के लिए फायदेमंद साबित होता है।
  • नियमित रूप से व्यायाम करने से भी थाइराइड प्रक्रिया को मजबूती मिलती है।
  • थाइराइड की बीमारी से बचने में अखरोट भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके सेवन से गले में आने वाली सूजन से राहत मिलती है।

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